तर्ज, मनिहारी का भेष बनाया
झुक आई बदरिया कारी,झूला झूलन चलो राधा प्यारी।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹तोहे लेने को आए बिहारी,झूला झूलन चलो राधा प्यारी।
सावन के महीने में,चमक रही बिजली।२।कूके कोयल बड़ी ही प्यारी।🌹🌹🌹🌹झूला झूलन चलो राधा प्यारी।
झुक आई बदरिया कारी,झूला झूलन चलो राधा प्यारी।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹तोहे लेने को आए बिहारी,झूला झूलन चलो राधा प्यारी।
काहे का झूलाहै, काहे की है पटरी।२। काहे की चमक रही डोरी।🌹🌹🌹🌹🌹🌹झूला झूलन चलो राधा प्यारी।
झुक आई बदरिया कारी,झूला झूलन चलो राधा प्यारी।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹तोहे लेने को आए बिहारी,झूला झूलन चलो राधा प्यारी।
चांदी का है झूला,रेशम की डोरी।२।तांबन की चमक रही डोरी।🌹🌹🌹🌹🌹🌹झूला झूलन चलो राधा प्यारी।
झुक आई बदरिया कारी,झूला झूलन चलो राधा प्यारी।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹तोहे लेने को आए बिहारी,झूला झूलन चलो राधा प्यारी।
ललिता भी आई,विशाखा भी आई।२।सखियां सारी है आई।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹झूला झूलन चलो राधा प्यारी।
राधा जी झूले मोहन झुलावे।२।गल बैयां गले में डारी।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹झूला झूलन चलो राधा प्यारी।
झुक आई बदरिया कारी,झूला झूलन चलो राधा प्यारी।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹तोहे लेने को आए बिहारी,झूला झूलन चलो राधा प्यारी।