तर्ज,मुझे पीने का शौक नहीं पीता हूं गम
तुम रूठे रहो मोहन, हम तुम्हें मना लेंगे। आहों में असर होगा,घर बैठे बुला लेंगे।तुम रूठे रहो मोहन, हम तुम्हें मना लेंगे।
तुम कहते हो मोहन, तुम्हें मधुबन प्यारा है। एक बार तो आ जाओ, मधुबन ही बना देंगे। तुम रूठे रहो मोहन, हम तुम्हें मना लेंगे।
तुम कहते हो मोहन तुम्हें, राधा प्यारी है। एक बार तो आ जाओ, राधा से मिला देंगे। तुम रूठे रहो मोहन, हम तुम्हें मना लेंगे।
तुम कहते हो मोहन, तुम्हें माखन प्यारा है। एक बार तो आ जाओ, माखन ही खिला देंगे। 🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚तुम रूठे रहो मोहन, हम तुम्हे मना लेंगे।
लगी आग जो सीने में, तेरे प्रेम जुदाई की। हम प्रेम की धारा से, लगी दिल की बुझा लेंगे।🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚 तुम रूठे रहो मोहन, हम तुम्हें मना लेंगे।