तर्ज,मनिहारी का भेष बनाया
कैसी बारात शिव की है आई,ना ही ब्राह्मण है ना कोई नाई।२।
ना है बग्गी कोई, नाही कोई घोड़ी।ना रुपैया लूटे,ना ही फूटी कोड़ी।ऐसा फक्कड़ है आया जंवाई। ना ही ब्राह्मण है ना कोई नाई।
कैसी बारात शिव की है आई,ना ही ब्राह्मण है ना कोई नाई।
शेरवानी कहां,मिजवानी कहां।२।मृगछाला लियो लिपटायी।ना ही ब्राह्मण है ना कोई नाई।
कैसी बारात शिव की है आई,ना ही ब्राह्मण है ना कोई नाई।
नाचे भूतोंकी टोली,खाके भांगियाकी गोली।२।होवे है जग हंसाई।ना ही ब्राह्मण है ना कोई नाई।
कैसी बारात शिव की है आई,ना ही ब्राह्मण है ना कोई नाई।
गोरा सोचे बुरा है ये, सपना कोई,मेरी भक्ति में भगवन क्या, गलती होई। क्यूं तुमने ये किस्मत फुटायी।ना ही ब्राह्मण है ना कोई नाई।
कैसी बारात शिव की है आई,ना ही ब्राह्मण है ना कोई नाई।
ओघड़दानी समझ गए, गिरजा का दुःख।पलभर में पलट दिया,अपना वो रूप।गोरा फूली नहीं समाई।ना ही ब्राह्मण है ना कोई नाई।
कैसी बारात शिव की है आई,ना ही ब्राह्मण है ना कोई नाई।