शंकर तेरी जटा से बहती है गंग धारा। काली घटा के अंदर, धीमी दामिनी उबारा।🌙🌙 शंकर तेरी जटा से बहती है गंग धारा।
गले मुंड माला राजे, शशि भाल पर विराजे। डमरु निदान बाजे, कर में त्रिशूल है धारा।🌙शंकर तेरी जटा से बहती है गंग धारा।
जग तीन तेज राशि, कटिबंध नाग फांसी। गिरजा है संग दासी, सब विश्व के आधारा।शंकर तेरी जटा से बहती है गंग धारा।
मृग चरम वसन धारी, बृजराज की सवारी। निज भक्त दुःख हारी, कैलाश में बिहारा।🌙शंकर तेरी जटा से बहती है गंग धारा।
शिव नाम ओ ऊचारे, सब पाप दोष टारे ।ब्रह्मानंद ना बिसारे, भव सिंधु पार तारा।🌙शंकर तेरी जटा से बहती है गंग धारा।