इतना तो करना स्वामी, जब प्राण तन से निकले। गोविंद नाम लेकर, तब प्राण तन से निकले।
श्री गंगा जी का तट हो, जमुना का बंसीवट हो। मेरा सांवरा निकट हो, तब प्राण तन से निकले।इतना तो करना स्वामी, जब प्राण तन से निकले।
पीतांबरी कसी हो, छवि मन में यह बसी हो। होठों पर कुछ हंसी हो,तब प्राण तन से निकले।इतना तो करना स्वामी जब प्राण तन से निकले।
जब प्राण कंठ आए, कोई रोग ना सताए। यम दरस ना दिखाएं,तब प्राण तन से निकले।इतना तो करना स्वामी जब प्राण तन से निकले।
उस वक्त जल्दी आना, नहीं श्याम भूल जाना। राधे को साथ लाना, तब प्राण तन से निकले।इतना तो करना स्वामी जब प्राण तन से निकले।
एक भक्त की है ये अर्जी,खुदगर्ज की है गर्जी। आगे तुम्हारी मर्जी, तब प्राण तन से निकले।इतना तो करना स्वामी जब प्राण तन से निकले।