तर्ज, हाय हाय ये मजबूरी
हाय हाय ये बांसुरी तोरी,ये करती जोरा जोरी। मोहे आधी रेन सताए,तेरी दो कौड़ी की बांसुरी, सारे जग को नाच नचाए।हाय हाय ये बांसुरी तोरी।
आधी रैना बीत गई, मनमोहन मुरली बजाई। सुनके मुरलिया कान्हा कुंवर की, सखियां दौड़ी आई। हां आई।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹एक सखी संग एक एक मोहन, नाच नाच कर गाए।हाय हाय ये बांसुरी तोरी
कितनी रातें बीत गई यह, कोई समझ नहीं पावे। यह छवि देख देवगन आए, खूब फूल बरसाए।बरसाए।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 कौन तपस्या करी भवानी,शंकर जी हरसाए।हाय हाय ये बांसुरी तोरी
शंकर जी मन मगन हुए और, गोपी रूप बनाये। भेष बदलकर गोपी बन गए, गोपेश्वर कहलाए। कहलाए।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹मनमोहन की बाजे मुरलिया, भक्त सभी गुण गाए।हाय हाय ये बांसुरी तोरी