भाव का भूखा हूं मैं अरू,भाव ही बस सार है। भाव से मुझको भजे तो, उसका बेड़ा पार है।
अन्न धन अरु वस्त्र भूषण, कुछ ना मुझको चाहिए। आप हो जाए मेरा बस, पूर्ण यह सत्कार है। भाव का…
भाव बिन सुना पुकारे, मैं कभी सुनता नहीं। भाव की एक टेर भी,करती मुझे लाचार है। भाव का…
भाव बिन सर्वस्व दे डाले, तो मैं लेता नहीं। भाव से एक पुष्प भी दे, तो मुझे स्वीकार है। भाव का…
जो भी मुझ में भाव रखकर, लेते हैं मेरी शरण। मेरे और उसके हृदय का, एक रहता तार है।भाव का…………………………………………. बांध लेते भक्त मुझको, प्रेम की जंजीर में।इसीलिए इस भूमि पर, होता मेरा अवतार है। भाव का…..