तर्ज, खमा खमा हो धनिया
भोले बाबा की गोरा, बनी रे दुल्हनिया। गई रे पिया के लिए, लेने पनिया। गोरा बनी रे दुल्हनिया।
भरने लगी जल सागर में, सागर का मन डोला रे ।कौन पति और किसकी बेटी, सागर हंसकर बोला रे।🌙🌙🌙🌙🌙🌙🌙🌙🌙🌙 सूरत है गोरा तेरी मोहनिया। हां हां मोहनिया । गोरा बनी रे दुल्हनिया।
हिमाचल की बेटी हूं मैं, शिवशंकर की नारी रे। तीन लोक के दाता जिनको, जाने दुनिया सारी रे ।🌙🌙🌙🌙🌙🌙🌙🌙🌙🌙🌙जहर पचावे और पीवे भंगिया, हां हां पीवे भंगिया। गोरा बनी रे दुल्हनिया।
गोरा तेरी किस्मत फूटी,क्या जोगी के साथ रे। चौदह रत्न भरे हैं मुझमें, पुरू तेरी आश रे।मुझको बनालें अपना साजनिया।हो हो साजनीया।🌙🌙🌙🌙🌙🌙🌙🌙🌙गोरा बनी रे दुल्हनिया।
गोरा बोली स्वामी मेरे,तीन लोक के दाता हैं।कमी नहीं कुछ उनके घर में,सबके भाग्य विधाता हैं।🌙🌙🌙🌙🌙🌙🌙🌙🌙पापी मिटा दे तेरी बेइमानिया।हो तेरी बेइमानियां।गोरा बनी रे दुल्हनिया।
गोराकी जब बात सुनी तो,भोले मन में ठानी रे।चौदह रत्न को मंथन करके, काढ दिया सुर ज्ञानी रे।🌙🌙🌙🌙🌙🌙🌙🌙🌙🌙 छोड़ दिया रे कर खारा पनियां।कर खारा पनियां।गोरा बनी रे दुल्हनिया।