देखी मटकी पे मटकी कन्हैया, कईयां खटकी।अब खटकी तो कठे है समाई री, कान्हो कंकरिया जोर की बगाई री।🏺🏺🏺🏺🏺
मटकी जो टूटी राधा दही में लिपट गई।🏺🏺दही की मलाई अंग अंग में चिपट गई।🏺🏺तो फिर सांवरीयो मुस्काए,राधा रानी ने चिढ़ावे।राधा शर्म से नैन झुकाई री। कान्हो…
आज नही आई मेरे संग की सहेली।🏺🏺🏺जितना सताले चाहे देख के अकेली।🏺🏺तेरी माई कन्ने जास्युं,सारा हाल बतास्यूं।श्याम करे है तूं बोहोत बुराई री।कान्हो……..
इतने में आई दो चार गुजरिया।🏺🏺🏺🏺 किसो हाल राधा जी को कर्यों री सांवरिया।🏺ठहर तने महे बतावां,तेरी आदत छुडावां।गुजरी कान पकड़ने आई री,कान्हो….
कान पकड़ गुजरी कान्हे ने नचावे।🏺🏺🏺देखो जी दयालु राधा कान्हे ने छुडावे।🏺🏺तब गुजरी गुस्साई,राधा बीच बोलन आई।और सांवरिया से कंकरी की खाई री।कान्हो…
राघा जी की प्रीत देख,कृष्ण हरसायो।🏺🏺खुशी होय नाच नाच मुरली बजायो।🏺🏺🏺तो फिर राधा मन भायो,मीठी तान सुनायो।राधा सुध बुध सारी बिसराई री।कान्हो..
भक्तों के मन में भी कंकरी की लागी।🏺🏺कंकरी की लागी तो श्याम भक्ति जागी।🏺🏺तो फिर गावां गुणगान,करा श्याम जी को ध्यान,जन जन ने या बात बताई री।कान्हो..