तर्ज,बाई सा रा बीरा जयपुर जाज्यो जी
जगदम्बे थे तो आकर ओढ़ो ये सेवक ल्याया मां थारी चूंदड़ी।
सुहागन मिल चाव से बांधी ये,श्रद्धा के रंग में रंगाई चुंदड़ी।🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻 सुरता रो झीनो पोत बनायो ये,मनडा की पेटी में या आई चुंदड़ी।जगदम्बे थे….
आशा का तारा खूब लगाया ये,मोती की लुमा लगाई चुंदड़ी।🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻 मां सांचा तारा सांचों ही गोटो ये,म्हाने प्यारी लागे मां,तारा री चुंदड़ी🌻🌻🌻🌻🌻🌻
चुंदड़ी का तारा चम चम चमके ये,म्हारो मनडो हर लिन्हों,तारा री चुंदड़ी।🌻🌻🌻🌻🌻बनवारी गावे चुंदड़ ऊढाए ये,थे आकर ओढ़ो मां,तारा री चुंदड़ी।