मनमोहन मेरा है। नट नागर मेरा है। जिंदगी में कुछ भी नही,बस उसकी मेहरबानी है।
दिलदार है जब उनसा, फिर कैसी फिकर तुझको। तूं उड़ता फिरे हरदम,वो करते नजर तुझको। कहीं कांटे कहीं पत्थर,कहीं नाव पुरानी है। जिंदगी में कुछ भी नही बस उसकी मेहरबानी है।
मनमोहन मेरा है। नट नागर मेरा है। जिंदगी में कुछ भी नही,बस उसकी मेहरबानी है।
कहीं टूटा जो दिल तेरा,वो घाव के है मरहम। कहीं चिंता है जब तुझको,वो सर पे खड़े हरदम। तूं याद करे जब जब,दौड़े आते दिलबरजानी है। जिंदगी में कुछ भी नही,बस उसकी मेहरबानी है।
मनमोहन मेरा है। नट नागर मेरा है। जिंदगी में कुछ भी नही,बस उसकी मेहरबानी है।