ना जी भरके देखा, ना कुछ बात की ।बड़ी आरजू थी मुलाकात की ।करो अब दृषटिप्रभु करूणा की ।बड़ी आरजू थी मुलाकात की। गये जब से मथुरा वो मोहन मुरारी, सभी गोपिया ब्रज की व्याकुल है भारी ।कहाँ दिन बिताए कहाँ रात की ।करो अब दृषटिप्रभु करूणा की ।बड़ी आरजू थी मुलाकात की। हम बैठे […]