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विविध भजन

Met deti dawa dard talwar ka ghaw boli ka fir bhi na bharta kabhi,मेट देती दवा दर्द तलवार का, घाव बोली का फिर भी ना भरता कभी,

मेट देती दवा दर्द तलवार का, घाव बोली का फिर भी ना भरता कभी,