निर्बल के प्राण पुकार रहे, जगदीश हरे,जगदीश हरे।
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बोल हरी बोल हरी हरी हरी बोल।केशव माधव गोविंद बोल।
जपाकर जपाकर जपाकर जपाकर। हरि ओम तत्सत,हरि ओम तत्सत।
निर्बल के प्राण पुकार रहे, जगदीश हरे,जगदीश हरे।
बोल हरी बोल हरी हरी हरी बोल।केशव माधव गोविंद बोल।
जपाकर जपाकर जपाकर जपाकर। हरि ओम तत्सत,हरि ओम तत्सत।