में कोन्या जानी राम बुढ़ापा बैरी आवेगा
Category: विविध भजन
अरे थाली में जगमग होये,
आरती कृष्ण कन्हैया की,
बल्ले बल्ले ओ ठाकुरा नू धन्ना लै गया,
फिर कब हरि से हेत लगावैगौ, तेरी बीती जाय उमरिया।
शबरी मगन है राम भजन में
राम दरस की आस है मन में
मुट्ठी बाँध के आया जग में खाली हाथों जायेगा
शिवजी के डमरू से निकला रघुपति राघव राजा राम,
आसमान में उड़ने वाले, मिट्टी में मिल जाएगा,
पांच गाँव मारे पांडवों ने देवो,
अरे बाकी राज तुम्हारा,
गिरिजा पूजन को भगवान सिया महारानी आई है,
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