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विविध भजन

Muthhi bandhe aaya jag me Khali hatho jayega,मुट्ठी बाँध के आया जग में खाली हाथों जायेगा

मुट्ठी बाँध के आया जग में खाली हाथों जायेगा

मुट्ठी बाँध के आया जग में खाली हाथों जायेगा।
धर्म कमाले जग में रहकर नहीं पीछे पछतावेगा।



कर दिया उपकार प्रभू ने देकर मानव चोला।।
माया में तू लिप्त हो गया राम न मुँह से बोला।
महल दुमहले बनवा रहा है खबर नहीं है कल की।
अब भी चेत गुमानी तेरी जिन्दगानी एक पल की।
प्यारे मनमोहन को तज कर किससे लगन लगायेगा।
धर्म कमाले जग में रहकर नहीं पीछे पछतावेगा।



धर्म तराजू के दो पलड़े सोच समझ कर तोल जरा।
राम नाम का लुटे खजाना इससे सौदा नहीं खरा।
मोल करे तो पछतायेगा बिना भाव के लेजा तू।
दिल से लट करो मेरे भाई इसी काम को भेजा त।।
भव सागर से तू तर जाय जो ज्ञान की ज्योति जलायेगा।
धर्म कमाले जग में रहकर नहीं पीछे पछतावेगा।



मेरा-मेरा तू करता है कोई न साथ निभायेगा।
अंत समय पर राम नाम ही काम तुम्हारे आयेगा।
नहीं भरोषा कुछ जीवन का फिर क्यों करता देरी है।
ये मित्थ्या संसार बाबरे अक्ल कहाँ गई तेरी है।
महावीर तू अन्त समय परबार-बार पछतायेगा।
धर्म कमाले जग में रहकर नहीं पीछे पछतावेगा

मुट्ठी बाँध के आया जग में खाली हाथों जायेगा।
धर्म कमाले जग में रहकर नहीं पीछे पछतावेगा।

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