भेरूजी झीणा रे झीणा रे,
बाजे घुंगरा,
Category: विविध भजन
शबरी करे पुकार राम कब आओगे।
हरी बगिया सूनी है काली कोयल बिना।
रूम झूम करता पधारो मारा भैरो जी
लुटगी ओ भोले बाबा लूटगी। जिंदगानी भूल में लुटगी।
चार चार तो मने बेटे जाए बेटी जाई मने एक बुढ़ापे का सहारा नहीं।
पूरण प्रेम लगा दिल में तब ,
नेम का बंधन छूट गया।
संता राम भजो डर कांको,
करुणामयी सुख की दाता,
जय जय जय लक्ष्मी माता,
कुटुंब तजि शरण, राम तेरी आयो
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