अभी तो उम्र मेरी बारी, बलम ले आए हैं साड़ी।
Category: विविध भजन
फिर कब हरि से हेत लगावैगौ,
तेरी बीती जाय उमरिया
हंसा सुन्दर काया रो,
मत करजे अभिमान,
अमरापुर से चली भवानी गोरख छलबा आयी रे
म्हारे मालिक के दरबार, आवणा जतीक
पिंजरै वाली मैना, भजो ना सिया राम राम ।
चादर झीणी राम झीणी, या तो सदा राम रस पिणी ॥
बाबुल की बहुत ही प्यारी थी,ससुराल ने कदर मेरी जानी ना।बाबुल की बहुत ही प्यारी थी,ससुराल ने कदर मेरी जानी ना।
मत सोच समझ कल क्या होगा
होज्या होशियार गुरांजी के शरणै, दिल साबत फिर डरना क्या ॥
You must be logged in to post a comment.