तर्ज- गोरी कब तक नैन चुरावैगी…
फिर कब हरि से हेत लगावैगौ,
तेरी बीती जाय उमरिया।फिर कब हरि से हेत लगावैगौ,तेरी बीती जाय उमरिया।
दस से सोलह गई खेल में।
तीस गई तेरी मद के मेल में।।
आय पचपन पर पछतावैगौ।
तेरी बीती जाय उमरिया।फिर कब हरि से हेत लगावैगौ,तेरी बीती जाय उमरिया।
स्याही जाय सफेदी आवै।
तन की खाल सिकुड़ सब जावै।।
डगमग नारि हलावैगौ।
तेरी बीती जाय उमरिया।फिर कब हरि से हेत लगावैगौ,तेरी बीती जाय उमरिया।
धन दौलत तेरे काम न आवै।
कोई न लेरा साथ निभावै।।
कर मल-मल पछतावैगौ।
तेरी बीती जाय उमरिया।फिर कब हरि से हेत लगावैगौ,तेरी बीती जाय उमरिया।
अब भी मानो कहन हमारी।
सब तज कर भजलो गिरधारी।।
महावीर कब तक तोय समझावैगौ। तेरी बीती जाय उमरिया।फिर कब हरि से हेत लगावैगौ,
तेरी बीती जाय उमरिया।