ऐ साईं मेरे, तेरे नूर ऐ नज़र,
पड़ते ही बिगड़ी जाऐ सँवर,
Category: विविध भजन
किसको पता है कब ये हंसा
बंद पिंजरे को छोड़े
अण घड़ीया देवा, कोई नहीं करे थारी सेवा।।
नाकोड़ा के भैरव नाथ
रहते भक्तो के साथ
नीली छत के पीछे बैठा जाने कौन मदारी
माधवे मन न रहे, घर आओ ,
नर्मदा आछी आई हो, म्हारा देश मा,
चाँद जैसे चोथ को मेरा बालमा
रंग रेजवा चुनरिया रंग डारी,
जाग पियारी अब का सोवै
रैन गई दिन काहे को खोवै।
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