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विविध भजन

Kisko pata hai kab ye Hansa band pinjare ko chode,किसको पता है कब ये हंसा बंद पिंजरे को छोड़े,

किसको पता है कब ये हंसा
बंद पिंजरे को छोड़े

किसको पता है कब ये हंसा
बंद पिंजरे को छोड़े
हरी हरी रट मनवा रे
दिन रहे गए थोड़े ………



तू माटी का एक खिलौना
टूट के आखिर माटी होना
फिर क्यों बोझा पाप का धोना
भजन से मैले मन को धोना।



जनम मरण बंधन को तो बस
एक भजन ही तोड़े
हरी हरी रात मनवा रे
दिन रहे गए थोड़े ………



दो दिन जग में खावो दाना
फिर ये पंछी है उड़ जाना
अब भी समय है हरी गुम गाना
पता नहीं कब क्रूर काल के
आन पाएंगे पड़े
हरी हरी रट मनवा रे
दिन रहे गए थोड़े ………….



सूत द्वारा और कुटुंब खजाना
सब माया का तना बना
फिर क्या इनका गरब दिखाना
ये नाता तो टूट ही जाना
अमर प्यार का नाता पगले
क्यों न प्रभु से जोड़े
हरी हरी रट मनवा रे
दिन रहे गए थोड़े ………….



जीना है तो ऐसे जी ले
श्याम नाम रास चहक के पी ले
टल जायेंगे पाप के टीले
होंगे दुःख के बंधन ढीले
गजेसिंह है धन्य वही जो
प्रभु से मुँह न मोड
हरी हरी रट मनवा रे
दिन रहे गए थोड़े ………….



किसको पता है कब ये हंसा
बंद पिंजरे को छोड़े
हरी हरी रट मनवा रे
दिन रहे गए थोड़े ………….

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