सुन मारी सुरता अजब कामनी,
Category: निर्गुण भजन nirgun Bhajan
सुण सुण हो,
म्हारी काया ओ लाड़ली,
आत्मा में दाग़ लगाजे मति,
मायलो जाने रे अमर मारी काया जी,
हे री तूं तो भूल गई भगवान गई री फंस घर के धंधे में
काहे दिन चली जाऊंगी,काया तोहे धोखा दे जाऊंगी।
माया के जाल में फंस गया रे ये लोभी तोता।
मन पवन री घोड़ी,
घोड़ी रे, पाँच बछेरा,
मन नेकी करले, दो दिन का मेहमान,
बस चार दिनों का मेला,
फिर चला चली खेला,
झूठा है संसार रेन का सपना है,
You must be logged in to post a comment.