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he nath kya yah vinati swikar ab na hogi lyrics by prakash gandhi,हे नाथ क्या ये विनती स्वीकार अब न होगी।

हे नाथ क्या ये विनती स्वीकार अब न होगी।

हे नाथ क्या ये विनती स्वीकार अब न होगी।हे नाथ क्या ये विनती स्वीकार अब न होगी।हे नाथ क्या ये विनती स्वीकार अब न होगी।हे नाथ क्या ये विनती स्वीकार अब न होगी।
आश्रित पै अनुग्रह की, भरमार अब न होगी।हे नाथ क्या ये विनती स्वीकार अब न होगी।


पतितों के तारने के किस्से पड़े पुराने।पतितों के तारने के किस्से पड़े पुराने।पतितों के तारने के किस्से पड़े पुराने।पतितों के तारने के किस्से पड़े पुराने।क्या एक नई कहानी तैयार अब न होगी।हे नाथ क्या ये विनती स्वीकार अब न होगी।हे नाथ क्या ये विनती स्वीकार अब न होगी।


गर है स्वाभाव बदला तो साफ साफ कह दो।गर है स्वाभाव बदला तो साफ साफ कह दो।गर है स्वाभाव बदला तो साफ साफ कह दो।गर है स्वाभाव बदला तो साफ साफ कह दो।
हुई बार बार करूणा इस बार अब न होगी।हे नाथ क्या ये विनती स्वीकार अब न होगी।हे नाथ क्या ये विनती स्वीकार अब न होगी।


रहते थे जिसके बस में जो आपको था प्यारा।रहते थे जिसके बस में जो आपको था प्यारा।रहते थे जिसके बस में जो आपको था प्यारा।रहते थे जिसके बस में जो आपको था प्यारा।
उस प्रेम की भी शायद दर कार अब न होगी।हे नाथ क्या ये विनती स्वीकार अब न होगी।हे नाथ क्या ये विनती स्वीकार अब न होगी।


दुख दूर कर दो ताकि राजेश भी ये बोले।दुख दूर कर दो ताकि राजेश भी ये बोले।दुख दूर कर दो ताकि राजेश भी ये बोले।दुख दूर कर दो ताकि राजेश भी ये बोले।एहसान मानता हूँ तकरार अब न होगी।हे नाथ क्या ये विनती स्वीकार अब न होगी।हे नाथ क्या ये विनती स्वीकार अब न होगी।

हे नाथ क्या ये विनती स्वीकार अब न होगी।हे नाथ क्या ये विनती स्वीकार अब न होगी।हे नाथ क्या ये विनती स्वीकार अब न होगी।हे नाथ क्या ये विनती स्वीकार अब न होगी।
आश्रित पै अनुग्रह की, भरमार अब न होगी।हे नाथ क्या ये विनती स्वीकार अब न होगी।

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