Categories
विविध भजन

Samajh man mayla re thari melodi chadar dhoye,समझ मन मायला रे थारी मेलोडी चादर धोए

समझ मन मायला रे, थारी मेलोडी चादर धोए

समझ मन मायला रे, थारी मेलोडी चादर धोए। बिन धोया रंग ना चढ़े रे मिलनो किस विध होय।समझ मन मायला रे, थारी मेलोडी चादर धोए।

गुरां सा खुदाया कुँवा बावड़ी रे,ज्यारों नीर गंगा ज़ळ होय।कई तो नर न्हाय गया रे,
कई नर गया मुख धोय।समझ मन मांयला रै ,
थारीं मैलोड़ी चादर धोय।



तन की कुंडी बणायले रे ,ज्यारें मनसा साबण होय।प्रेम शिला पर देह फटकारों,
दाग रहे ना कोय।समझ मन मांयला रै ,
थारीं मैलोड़ी चादर धोय।



रोहिड़ो रंग को फ़ूटरों रै ,ज्यारां फ़ूल अजब रंग होय।वा फुलां की शोभा न्यारी,
बीणज सके ना कोय।समझ मन मांयला रै ,
थारीं मैलोड़ी चादर धोय।



लिखमा जी ऊबा बीच भौम में रै,ज्यारे दाग़ रह्यो ना कोय।तीजी पेड़ी लाँघ गया रे ,
चौथी में रह्या रै सोय।समझ मन मांयला रै ,
थारीं मैलोड़ी चादर धोय।



समझ मन मायला रे, थारी मेलोडी चादर धोए। बिन धोया रंग ना चढ़े रे मिलनो किस विध होय।समझ मन मायला रे, थारी मेलोडी चादर धोए।

Leave a comment