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विविध भजन

Ab kyu shradh manave,जीते जी तो कदर न जानी अब क्यों श्राद्ध मनावे।

जीते जी तो कदर न जानी अब क्यों श्राद्ध मनावे।

जीते जी तो कदर न जानी अब क्यों श्राद्ध मनावे। ना पूछी हमें रोटी पानी अब पकवान खिलावे। काहे श्राद्ध मनावे।जीते जी तो कदर न जानी अब क्यों श्राद्ध मनावे।जीते जी तो कदर न जानी अब क्यों श्राद्ध मनावे।

जब बीमार पड़े हम तूने डाल दिए चारपाई पे। काहो ने भी शुद्ध नहीं ली तेरे बालक और लुगाई ने।जब बीमार पड़े हम तूने डाल दिए चारपाई पे। काहो ने भी शुद्ध नहीं ली तेरे बालक और लुगाई ने। कभी ना बैठ पास हमारे अब क्यों नीर बहावे।जीते जी तो कदर न जानी अब क्यों श्राद्ध मनावे।जीते जी तो कदर न जानी अब क्यों श्राद्ध मनावे।

कभी तो हमको चिड़िया माने कभी तो माने कौवा। कभी तु हमको चींटी माने कभी तू माने गईयां।कभी तो हमको चिड़िया माने कभी तो माने कौवा। कभी तु हमको चींटी माने कभी तू माने गईयां। इंसानों की सेवा ना कि अब क्यों करें दिखावे।जीते जी तो कदर न जानी अब क्यों श्राद्ध मनावे।जीते जी तो कदर न जानी अब क्यों श्राद्ध मनावे।

बात पते की सुन ले बेटा कहते गुनी ज्ञानी। जैसे कर्म करोगी वैसी बीते जिंदगानी।बात पते की सुन ले बेटा कहते गुनी ज्ञानी। जैसे कर्म करोगी वैसी बीते जिंदगानी। पेड़ बबूल का बोएगा तो आम कहां से पावे।जीते जी तो कदर न जानी अब क्यों श्राद्ध मनावे।जीते जी तो कदर न जानी अब क्यों श्राद्ध मनावे।

जीते जी तो कदर न जानी अब क्यों श्राद्ध मनावे। ना पूछी हमें रोटी पानी अब पकवान खिलावे। काहे श्राद्ध मनावे।जीते जी तो कदर न जानी अब क्यों श्राद्ध मनावे।जीते जी तो कदर न जानी अब क्यों श्राद्ध मनावे।

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