तर्ज,मेरे अरमां पड़े के पड़े रह गये,
लेके डोली पिया द्वार पे आ गये,मेरे अरमां पड़े के पड़े रह गए।लेके डोली पिया द्वार पे आ गये,मेरे अरमां पड़े के पड़े रह गए।
चार बातें किसी से मैं कर ना सकी,एक पल भी जुबां मेरी हिल ना सकी।चलते-चलते सभी रुक गयीं नाड़ियां।मुख में ताले पड़े पड़े रह गये।
लेके डोली पिया द्वार पे आ गये,मेरे अरमां पड़े के पड़े रह गये।लेके डोली पिया द्वार पे आ गये,मेरे अरमां पड़े के पड़े रह गय।
चलते-चलते सभी रुकी नाड़ियां,रुक गयी दिल की धड़कन औ सांसों की लड़ी।सारा संसार मानो असत हो गया।मेरे नैना लड़े के लड़े रह गये।लेके डोली पिया द्वार पे आ गये,मेरे अरमां पड़े के पड़े रह गये।लेके डोली पिया द्वार पे आ गये,मेरे अरमां पड़े के पड़े रह गए।
मेरी फूलों से डोली सजाई गयी।और लाल चुँदरिया उड़ायी गयी।बाबुल दिल थामते और मचलते रह गये।माँ की ममता धरी की धरी रह गयी।लेके डोली पिया द्वार पे आ गये,मेरे अरमां पड़े के पड़े रह गये।लेके डोली पिया द्वार पे आ गये,मेरे अरमां पड़े के पड़े रह गए।
हाथ खाली चली संग नेकी बदी।अपनी खुद ही होने लगी बेखुदी।जो कमाया था धन झूंठ और सांच से।वो खजाने भरे के भरे रह गये।
लेके डोली पिया द्वार पे आ गये,मेरे अरमां पड़े के पड़े रह गये।लेके डोली पिया द्वार पे आ गये,मेरे अरमां पड़े के पड़े रह गए।
मेरी चन्दन से सिजियां सजायी गयी।और सुला करके अग्नि लगायी गयी।
लाख की जिन्दगी खाक में मिल गयी।कुनबे वाले खड़े के खड़े रह गये।
लेके डोली पिया द्वार पे आ गये,मेरे अरमां पड़े के पड़े रह गये।लेके डोली पिया द्वार पे आ गये,मेरे अरमां पड़े के पड़े रह गए।
परम प्रीतम को तो हमने छोड़ा नहीं।आयी बदकिस्मती मुख मोड़ा नहीं।
आज नेकी बदी छोड़ सब चल दिये।हम अकेले पड़े के पड़े रह गये।
लेके डोली पिया द्वार पे आ गये,मेरे अरमां पड़े के पड़े रह गये।लेके डोली पिया द्वार पे आ गये,मेरे अरमां पड़े के पड़े रह गए।