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विविध भजन

Lalach by vidhi deshwal, मत ना इतना लालच कर,

मत ना इतना लालच कर,

मत ना इतना लालच कर,भीतरले में राख सबर। औरा की थाली में बंदे गिरावे क्यूं घणा नजर।मत ना इतना लालच कर,भीतरले में राख सबर।

जिसने अच्छा कर्म करया से।बेटा और ने खूब भर्या से।जिसने अच्छा कर्म करया से।बेटा और ने खूब भर्या से। जगत पिता का न्याय करया से। रोल मिले ना रत्ती भर।मत ना इतना लालच कर,भीतरले में राख सबर।मत ना इतना लालच कर,भीतरले में राख सबर।

क्यूं औरा ने देख जले से। जिसा करे कोई उसा फले से।क्यूं औरा ने देख जले से। जिसा करे कोई उसा फले से। करनी का फल नहीं टले से। कितनी कर ले कोशिश नर।मत ना इतना लालच कर,भीतरले में राख सबर।मत ना इतना लालच कर,भीतरले में राख सबर

जिसने सबर करया से मन में। आनंद ले गया वह जीवन में।जिसने सबर करया से मन में। आनंद ले गया वह जीवन में। जिसकी नीत टीकी पर धन में। वह नर पाया नहीं उबर।मत ना इतना लालच कर,भीतरले में राख सबर।मत ना इतना लालच कर,भीतरले में राख सबर

ओमप्रकाश गुरु का कहना। सबर बना ले अपना गहना।ओमप्रकाश गुरु का कहना। सबर बना ले अपना गहना।होवे अमर ना पाच्छे रहना।राम धन तेरा मत ना बिसर।मत ना इतना लालच कर,भीतरले में राख सबर।मत ना इतना लालच कर,भीतरले में राख सबर

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