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विविध भजन

Chod chalo har bhali karenge kade na Darna chahiye,छोड़ चलो हर भली करेंगे कदे ना डरणा चाहिए

छोड़ चलो हर भली करेंगे, कदे ना डरणा चाहिए

छोड़ चलो हर भली करेंगे, कदे ना डरणा चाहिए, एक साड़ी मै गात उघाड़ा, अबके के करणा चाहिए ।।




गात उघाड़ा कंगलेपण मै, न्यूं कित जाया जागा, नग्न शरीर मनुष्य की स्याहमी, नही लिखाया जागा, या रंगमहलां के रहणे आळी, ना दुख उठाया जागा, इसके रहते मेरे से ना, खाया कमाया जागा,किस नै आच्छी-भुंडी तकदी तो, जी तैं भी मरणा चाहिए ।।





फूक दई कलयुग नै बुद्धि, न्यूं आत्मा काली होगी, कदे राज करूं था आज पुष्कर के, हाथं मै ताली होगी, सोलह वर्ष तक मां-बापां नै, आप सम्भाली होगी, इब तै पतिभर्ता आपणे धर्म की, आप रूखाली होगी, खता मेरी पर राणी नै भी, क्यों दुख भरणा चाहिए ।



एक मन तै कहै छोड़ बहू नै, एक था नाटण खातर, कलयुग जोर जमावै भूप पै, न्यारे पाटण खातर, बुद्धि भ्रष्ट करी राजा नल की, न्यूं दिल डांटण खातर, एक तेगा भी धरणा चाहिए, साड़ी काटण खातर, फेर न्यूं सोची थी कलयुग नै, एक तेगा धरणा चाहिए ।।इब त पातभता आपण धर्म का, आप रूखाला होगा, खता मेरी पर राणी नै भी, क्यों दुख भरणा चाहिए ।



एक मन तै कहै छोड़ बहू नै, एक था नाटण खातर, कलयुग जोर जमावै भूप पै, न्यारे पाटण खातर, बुद्धि भ्रष्ट करी राजा नल की, न्यूं दिल डांटण खातर, एक तेगा भी धरणा चाहिए, साड़ी काटण खातर, न्यूं सोची थी कलयुग नै, एक तेगा धरणा चाहिए ।



राणी साझैं पड़कै सोगी, राजा रात्यूं जाग्या,
उसी कुटी मै इधर-उधर, टहल कै देखण लाग्या, राजा नल नै खबर पटी ना, भूल मै धौखा खाग्या, फिर कलयुग तेगा बणकै, भूप नै धरा कूण मै पाग्या, लख्मीचन्द दिल डाटण खातिर, सतगुर का शरणा चाहिए ।।

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