करके कोई बहाना, है अंबे, भक्तजनों को अपनी शरण लगाना।अपनी शरण लगाना।करके कोई बहाना,
दर्शन की प्यासी अखियां कब से तरस रही है। कर दो दया भवानी अखियां बरस रही है।दर्शन की प्यासी अखियां कब से तरस रही है। कर दो दया भवानी अखियां बरस रही है। बस एक तेरा दर है संसार में ठिकाना।अपनी शरण लगाना।करके कोई बहाना,
कबसे भटक रही हूं इस मतलबी जहां में। दिखता नहीं है कुछ भी जाऊं तो अब कहां में।कबसे भटक रही हूं इस मतलबी जहां में। दिखता नहीं है कुछ भी जाऊं तो अब कहां में। मेरा हाथ थाम कर मां मुझे रास्ता दिखाना।अपनी शरण लगाना।करके कोई बहाना,
तेरी महिमा है निराली जगदंबे शेरोवाली। जो भी दर पे तेरे आया लौटा कभी ना खाली।तेरी महिमा है निराली जगदंबे शेरोवाली। जो भी दर पे तेरे आया लौटा कभी ना खाली। उसे अपना ध्यान देकर हर कष्ट को मिटाना।अपनी शरण लगाना।करके कोई बहाना,