सूती छी रंग महल मे,
सूती नें आयो रे जंजाल
सूपना रा बैरी नींद गावाई र।
ठग-ठग महला उतरी,
गई-गई सासू जी रे पास
सासू जी थारे जायॉदे रे दिखयो जी,
तू छ बहू गेली बावली जायोडो बसे परदेश
सुपनो तो थाने यूँ ही भुलाई ये।
सुपने में आग्यो जी म्हारी नींद गवा गया जी,
सूती हैं सुख नींदा में म्हाने तरसा गया जी।
सुपने में आगयो जी म्हारी नींद गवा गया जी,
सूपना रे बैरी नींद गावाई र।
ठग-ठग महला उतरी,
गई-गई नन्दल पास
बाई सा थारो बीरो चित आयो जी,
तू छ भाभिसा गेली बावली वीरो सा गयो हैं परदेश।सुपनो तो थाने झूठो ही आयो य।
देखो नन्दल थाके भाई जी री बाता।
लाज शर्म नही आवे,
सुपने में म्हाका नैना सू बहवाँ लाग्या जी
सुपने में आगेया जी म्हारी नींद गवा गया जी
सूती हैं सुख नींदा में म्हाने तरसा गया जी
सुपने मे नींद गावाई र।