गुरां जी से ज्ञान लियो,
जद हुई म्हाने जान।।
सतगुरू म्हारा भरम गढ़ तोड़या
अब नहीं रह्यो अनजान।
म्हारी मिट गई कल्पना
सतगुरू मिलाया महान।।गुरां जी से ज्ञान लियो,
जद हुई म्हाने जान।।
मन मन्दिर दिल द्वारिका जान्यो
काया काशी ली जान।
गुरू वचन सत कर मान्यो
जद उर में उगियो भान।।गुरां जी से ज्ञान लियो,
जद हुई म्हाने जान।।
में तो जान्यो हर बहुत बड़ो है
हर गुरां एक समान।
गुरां बिन हर कौन लखावे
आतम पद निर्वान।।गुरां जी से ज्ञान लियो,
जद हुई म्हाने जान।।
सतगुरू बन्ताशाह समर्थ दाता
मिल्यो है फक्कड़ महान।
दास करोड़ी का संशय मिटिया
करलियो आप समान।।गुरां जी से ज्ञान लियो,
जद हुई म्हाने जान।।