अजी सागर उमड़ा प्रेम का न खेवटिया कोई एक।सब प्रेमी मिल बुढ़ते ये नही होती टेक।
अरे जेठ मास गर्मी को महीनों प्रेम प्यास लग जावे। अरे प्रेम प्यास लग जावे गूरा जी माने याद तुम्हारी आवे। याद तुम्हारी सतावे गोरा जी माने ओलयूं आप री आवे।
आषाढ़ महीना की आशा लागी इंदर झड झड़ आवे। सतगुरु म्हारा संबंध समाना, अरे थक थाक्क घर आवे।गुरासा म्हाने ओल्यू आप री आवे।अरे ओल्यू आप री आवे,गुरसा म्हाने याद तुम्हारी सतावे।
सावन में शायब घर आवे, सगला मंगल गावे। 5 सखियां मिल मंगल गावे बांका पिया मगन होय जाए।गुरसा म्हाने याद तुम्हारी सतावे।
भादवो भक्ति को महीनो गुरु बिना जीव दुख पावे। कहे कबीर सुनो भाई साधो भव से पार लगावे, गुरासा म्हाने ओल्यू आप री आवे।अरे ओल्यू आप री आवे,गुरसा म्हाने याद तुम्हारी सतावे।