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विविध भजन

Anhoni hoti nahi tu kyo huwa udaas,अनहोनी होती नहीं तू क्यों हुआ उदास

अनहोनी होती नहीं,
तू क्यों हुआ उदास ।

अनहोनी होती नहीं,
तू क्यों हुआ उदास ।
होनी भी टल जायेगी,
रख गुरु में विश्वास।



जितने आये कष्ट सब,
कर लेना मंजूर।
लेकिन गुरु के द्वार से,
कभी न होना दूर।



बिना गुरु के तर सका,
हुआ न ऐसा कोई शूर।
फैल रहा चारों तरफ,
मेरे गुरु का नूर ।।



गुरु चरणों में शिष्य के,
दुःख कट जाते आप ।
पास न उसके आ सके,
जग के तीनों ताप ।।



अपने गुरु से प्रीत जो,
करता है निष्काम।
गुरु चरणों में ही बसे,
उसके चारों धाम ।।

जितने भी तू कष्ट दे,
सब मुझको स्वीकार।

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