ओ जिसका साथी है भगवान
उसको क्या रोकेगा आँधी और तूफ़ान।
गगन चूर हो जाए जमीं धरती में धंस जाए
तूफ़ानों की गोद में चाहे सारा जग खो जाए
पाँव न रुकने पाए,ओ जिसका साथी है भगवान
उसको क्या रोकेगा आँधी और तूफ़ान।
जिसके शीश पे हाथ हज़ारों छू ना कोई पाएगा
हरि नाम से पर्वत तिनका बन जाएगा
धूल में मिल जाएगा,ओ जिसका साथी है भगवान
उसको क्या रोकेगा आँधी और तूफ़ान।
भक्त-हरि का बन्धन तो ज्यों दीपक और बाती
उसी ज्योति से ये जलती है उसमें ही मिल जाती
देह अमर ,ओ जिसका साथी है भगवान
उसको क्या रोकेगा आँधी और तूफ़ान।