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विविध भजन

Mhare Malik ke Darwar aawna jatik,म्हारे मालिक के दरबार, आवणा जतीक

म्हारे मालिक के दरबार, आवणा जतीक

म्हारे मालिक के दरबार, आवणा जतीक और नर सती नुगरा मिलज्यो रे मती ॥म्हारे मालिक के दरबार, आवणा जतीक और नर सती नुगरा मिलज्यो रे मती ॥

ज्ञान सरोदै सुरत पपैया, माखन खाणा मती ।जै खाणा तो शायर खाणा, जाँ में निपजै रति रै ॥म्हारे मालिक के दरबार, आवणा जतीक और नर सती नुगरा मिलज्यो रे मती ॥

पहली तो या गुप्त होवती, अब हो लागी प्रगटी ।राजा हरिशचंद्र तो सिद्ध कर निकल्या, लारे तारा सती रै ॥म्हारे मालिक के दरबार, आवणा जतीक और नर सती नुगरा मिलज्यो रे मती ॥

कै योजन में संत बसत है, कै योजन में जती ।नौ योजन में संत बसत है, दस योजन में जती रै ॥म्हारे मालिक के दरबार, आवणा जतीक और नर सती नुगरा मिलज्यो रे मती ॥

दत्तात्रेय ने गोरख मिल गया, मिल गया दोनों जती ।राजा दशरथ का छोटा बालक, गाबै लक्षमण जती रै।म्हारे मालिक के दरबार, आवणा जतीक और नर सती नुगरा मिलज्यो रे मती ॥

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