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विविध भजन

Hansa sundar kaya ro mat karje abhiman,हंसा सुन्दर काया रो मत करजे अभिमान,

हंसा सुन्दर काया रो,
मत करजे अभिमान,

हंसा सुन्दर काया रो,
मत करजे अभिमान,
आखिर एक दिन जाणो रे,
मालिक रे दरबार,
आखिर एक दिन जाणो रे,
सायब रे दरबार ।



गरब वास मे दुख पायो,
जद हरि से करी पुकार,
पल भर बुलु नाहि रे,
कोल वचन किरतार,
हंशा सुन्दर काया रो,
मत करजे अभिमान,
आखिर एक दिन जाणो रे,
मालिक रे दरबार,
आखिर एक दिन जाणो रे,
मालिक रे दरबार।

आकर के संसार मे,
कभी ना भजियो राम,
तिरथ वरत ना किनो रे,
नही कीनो सुकरत काज,
हंशा सुन्दर काया रो,
मत करजे अभिमान,
आखिर एक दिन जाणो रे,
मालिक रे दरबार,
आखिर एक दिन जाणो रे,
मालिक रे दरबार ।



कुटम कबिलो देख के,
गरब कीयो मन माय,
हंश अकेलो जासी रे,
कोय नही संग मे जाय,
हंशा सुन्दर काया रो,
मत करजे अभिमान,
आखिर एक दिन जाणो रे,
मालिक रे दरबार,
आखिर एक दिन जाणो रे,
मालिक रे दरबार ।



राम नाम री बान्ध गाठडी,
कर ले सुकरत कार,
कहै कबीर सुनो भाई साधु,
आखिर आसी राम,
हंशा सुन्दर काया रो,
मत करजे अभिमान,
आखिर एक दिन जाणो रे,
मालिक रे दरबार,
आखिर एक दिन जाणो रे,
मालिक रे दरबार ।

हंसा सुन्दर काया रो,
मत करजे अभिमान,
आखिर एक दिन जाणो रे,
मालिक रे दरबार,
आखिर एक दिन जाणो रे,
सायब रे दरबार ।

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