राम जैसा नगीना नहीं, सारे जग की बजरिया में, नीलमणि ही जड़ाऊँगी अपने मन की मुंदरियाँ में।
राम का नाम प्यारा लगे, रसना पे बिठाऊँगी मैं, मृदु मूरत बसाऊँगी नैनों की पुतरिया में। राम जैसा नगीना नहीं सारे जग की बजरिया में।नीलमणि ही जड़ाऊँगी अपने मन की मुंदरियाँ में।
हैं झूठे सभी रिश्ते और झूठे सभी नाते, दूजा रंग न चढ़ाऊँगी अपनी श्यामल चदरिया में। राम जैसा नगीना नहीं सारे जग की बजरिया मे।नीलमणि ही जड़ाऊँगी अपने मन की मुंदरियाँ में।
जल्दी से जतन करके राघव को रिझाना है, कुछ दिन ही तो रहना है काया की कोठरिया में। राम जैसा नगीना नहीं सारे जग की बजरिया मे।नीलमणि ही जड़ाऊँगी अपने मन की मुंदरियाँ में।
राम जैसा नगीना नहीं सारे जग की बजरिया में, नीलमणि ही जड़ाऊँगी अपने मन की मुंदरियाँ में