तर्ज, चांदी जैसा रंग है तेरा
कबसे खड़ा है दास तुम्हारा,
चौखट पे सरकार,
काहे देखे दूर दूर से,
बाथि घाल ले यार,
काहे देखे दूर दूर से,
बाथि घाल ले यार।
दुनियादारी में सांवरिया,
मन खाए हिचकोले,
मैंने सुना तू प्रेम के बदले,
अपना सब कुछ तोले,
ना जाने फिर दुनिया बाबा,
इधर उधर क्यों डोले,
तेरे नाम की मस्ती में,
बजते है मन के तार,
काहे देखे दूर दूर से,
बाथि घाल ले यार।
मेरी हिम्मत और भरोसा,
अब दातार तुम्ही हो,
जब भी जनम लूँ मैं सांवरिया,
तुझसे डोर बंधी हो,
हरपल मेरी अखियां तेरी,
राह में श्याम बिछी हो,
समझ गया मैं एक तू सच्चा,
झूठा सब संसार,
काहे देखे दूर दूर से,
बाथि घाल ले यार।
किसी के तूने खेत है जोते,
किसी का भात भरा है,
किसी की कुटिया महल बनाई,
किसी की ढाल बना है,
‘ललित’ का मनवा भी तेरे,
उस प्रेम को तरस रहा है,
जन्मों की अब प्यास बुझाना,
होता इंतजार,
काहे देखे दूर दूर से,
बाथि घाल ले यार।
कबसे खड़ा है दास तुम्हारा,
चौखट पे सरकार,
काहे देखे दूर दूर से,
बाथि घाल ले यार,
काहे देखे दूर दूर से,
बाथि घाल ले यार।