झीनों झिणों कजलो,सार ले सुहागण,
तेल रमाले केशा म। पांच र पच्चीस थाने खड़या रे उडिके चाल रे दिवानी उन देशा म ।
गगन मंडल म घल्या रे हिंडोला,रेशम डोर छिटके न्यारी।सुरत निरत हिंडण बेठ्या, झोटा देव सांवरो गिरधारी ।
धोला धोला वस्त्र छोड़ दयों सुहागण, भगवा वस्त्र ल्यो प्यारी। भगवा म भगवान मिलेगा बठ तो कटेली थारी चोरासी ।
पिवारिये बसङो छोड़ दे सुहागण, सासरिये बस ज्या प्यारी।सासरिये रा लोग भलेरा
जिण संग मोज़ा है भारी।
आठ्यु नोम्यु आव र दडूकति, ग्यारस बारस स आसी।”रामानन्द” जी रा भणत कबीरा
मझला मझला चढ़ ज्यासी।
झीनों झिणों कजलो,सार ले सुहागण,
तेल रमाले केशा म। पांच र पच्चीस थाने खड़या रे उडिके चाल रे दिवानी उन देशा म ।