मैया मैने दो दो कुल अपनाए। ओ मैया मैने दो दो कुल अपनाए। तन मन धन सब कर दिया अर्पण वह मेरे नहीं हो पाए। ओ मैया मैने दो दो कुल अपनाए। ओ मैया मैने दो दो कुल अपनाए।
एक कुल में मैने जन्म लिया है।बीस बरस मैंने वहां बिताए।ऐसे हो गए वो निर्मोही भेद के देश पराए।मैया मैने दो दो कुल अपनाए। मैया मैने दो दो कुल अपनाए। तन मन धन सब कर दिया अर्पण वह मेरे नहीं हो पाए। ओ मैया मैने दो दो कुल अपनाए। ओ मैया मैने दो दो कुल अपनाए।
एक कुल में मैं ब्याह के आई, सब अनजाने मैं अपनाई। तन मन धन से करी है सेवा, सबके हुक्म बजाए। मैया मैने दो दो कुल अपनाए। मैया मैने दो दो कुल अपनाए। तन मन धन सब कर दिया अर्पण वह मेरे नहीं हो पाए। ओ मैया मैने दो दो कुल अपनाए। ओ मैया मैने दो दो कुल अपनाए।
बेटी से फिर बनी बहू में, मां बनकर मैंने लाड लड़ाए। मेरे मन की कोई सुने ना, नैना नीर बहाए। मैया मैने दो दो कुल अपनाए। मैया मैने दो दो कुल अपनाए। तन मन धन सब कर दिया अर्पण वह मेरे नहीं हो पाए। ओ मैया मैने दो दो कुल अपनाए। ओ मैया मैने दो दो कुल अपनाए।
मां बाबुल का मान बढ़ाया, सास ससुर का वंश चलाया। जब मां मुझको बड़ी जरूरत लगने लगे पराए।मैया मैने दो दो कुल अपनाए। मैया मैने दो दो कुल अपनाए। तन मन धन सब कर दिया अर्पण वह मेरे नहीं हो पाए। ओ मैया मैने दो दो कुल अपनाए। ओ मैया मैने दो दो कुल अपनाए।
हर बेटी की यही कहानी, यूं तो है यह सदियों पुरानी। बहुत घर की होती लक्ष्मी क्यों ना लाड लड़ाए। मैया मैने दो दो कुल अपनाएमैया मैने दो दो कुल अपनाएतन मन धन सब कर दिया अर्पण वह मेरे नहीं हो पाए। ओ मैया मैने दो दो कुल अपनाए। ओ मैया मैने दो दो कुल अपनाए।