बनवारी गिरधारी अब राखो लाज हमारी।लाज ही है अब इस निर्धन की जीवन पूंजी सारी। सारी।बनवारी गिरधारी अब राखो लाज हमारी।
सरे बाजार में आज यह बाबा लूट रही लाज हमारी। चुप बैठे दिनों के नाथ तुम फिक्र नहीं क्या हमारी। अब तो मोहन हमको बस एक आस लगी है तुम्हारी तुम्हारी। बनवारी गिरधारी अब राखो लाज हमारी।बनवारी गिरधारी अब राखो लाज हमारी।
तेरे द्वार पे तो सांवरिया आते हैं लाज के मारे। मेरी लाज का तू रखवाला तुझको ही आज पुकारे। तू भी जो अनसुनी करेगा कौन सुनेगा हमारी हमारी। बनवारी गिरधारी अब राखो लाज हमारी।बनवारी गिरधारी अब राखो लाज हमारी।
राही की लाज पे जब-जब आई धन दौड़े हो तुम्हीं कन्हैया। बिन पतवार के डूब गई जो दरस की लाज कन्हैया। कहां गई तेरी मोहन पगली पूछेगी दुनिया सारी सारी।बनवारी गिरधारी अब राखो लाज हमारी।बनवारी गिरधारी अब राखो लाज हमारी।
बनवारी गिरधारी अब राखो लाज हमारी।लाज ही है अब इस निर्धन की जीवन पूंजी सारी। सारी।बनवारी गिरधारी अब राखो लाज हमारी।