प्राण लक्ष्मण के बचाने को हनुमान आजा। लेकर संजीवन बूटी को हनुमान आ जा।लेकर संजीवन बूटी को हनुमान आ जा।लेकर संजीवन बूटी को हनुमान आ जा।आजा आजा आजा आजा।
बिना लक्ष्मण के तेरा भाई रहना पाएगा। लौट के वापस अयोध्या कभी ना जाएगा। राम लक्ष्मण के जो आज बचा ना पाऊंगा। कसम खाता हूं जान अपनी ही गवाऊंगा। लाल अंजनी के दिखाने को अपनी शान आजा। लेकर संजीवन बूटी को हनुमान आ जा।लेकर संजीवन बूटी को हनुमान आ जा।
पूछेगी माता अगर उनको क्या बताऊंगा। लखन को छोड़ कहां आया हूं समझाऊंगा। बिना भाई के जीना भी कैसा जिना है। मेरा सुखचैन विधाता ने सभी छीना है। दिखाने सेवा कि तू अपनी पहचान आजा। लेकर संजीवन बूटी को हनुमान आ जा।लेकर संजीवन बूटी को हनुमान आ जा।
लेकर पर्वत को हनुमान को आते देखा। ऐसा लगता है कहीं स्वप्न तो नहीं देखा। सभी मिलकर वहां खुशी मनाते हैं। लखन जीवित हुए अब धीरज समझाते हैं। अंजलि के शब्दों में बनकर तू जान आजा।लेकर संजीवन बूटी को हनुमान आ जा।लेकर संजीवन बूटी को हनुमान आ जा।
प्राण लक्ष्मण के बचाने को हनुमान आजा। लेकर संजीवन बूटी को हनुमान आ जा।लेकर संजीवन बूटी को हनुमान आ जा।लेकर संजीवन बूटी को हनुमान आ जा।आजा आजा आजा आजा।