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विविध भजन

Kon khadi shamshan ghat par aadhi raat andhere me,कौन खड़ी शमशान घाट पर आधी रात अंधेरे में

कौन खड़ी शमशान घाट पर, आधी रात अंधेरे में

कौन खड़ी शमशान घाट पर, आधी रात अंधेरे में। निरंजन बन में फिर अकेली, के दुःख पड़गा तेरे में ।



काली घटा गगन में छाई बिजली सिर पर कड़के से। मूसल धार बरसता पानी, मेरा कलेजा धड़के से । डाक है क चूड़े भूतणी, छाती मेरी भड़के से। कुण जाणे के पड़े मुसीबत बांया नेतर फड़के सैं। थर थर काया कांपन लागी, फिकर हुआ मन मेरे मे।निरंजन बन में फिर अकेली, के दुःख पड़गा तेर में ।कौन खड़ी शमशान घाट पर, आधी रात अंधेरे मे।



गया मैं जा गया, तू दिखे बच्चा खाणी सैं। आधी रात घाट पर डौले, या तेरी सहनाणी हैं। हरीचन्द के आगे डाकणपेश नहीं तेरी जाणी हैं। मत खड़ी अब देख सामने, खोदु नाम निशाणी सैं। दु डाकण तेरा दाव चले नां, हरीचन्द के पहरे मे।
निरंजन बन में फिर अकेली, के दुःख पड़गा तेर में।कौन खड़ी शमशान घाट पर, आधी रात अंधेरे म।



के तेरे में पड़ी मुसीबत फूट फूट के रोव से, निरंजन बन में फिरे भटकती, नगरी सुख से सोवै सैं। हो बेधड़क घाट पर आके, मुर्दा टाबर टोव स । हटज्या ये चण्डाल पापणी क्यों जिन्दगानी खोवे सैं। मार खड्रग तेरा नाड़ उडादयूं, ल्हाश पटक दु झेरे में।
निरंजन बन में फिर अकेली, के दुःख पड़गा तेर में।कौन खड़ी शमशान घाट पर, आधी रात अंधेरे मे।



इतनी सुन मैनावत बोली, फुटया भाग हमारा से। दुखिया रानी खड़ी सामने, रोहिताश सुत थारा से। फूल तोड़ने गया बाग में, डसगा नाग हत्यारा से। हरनारायण हरि गुन गावो, हो कल्याण तुम्हारा से। जद राजा ने सुरत पिछानी, बिजली के उजियारे में।निरंजन बन में फिर अकेली, के दुःख पड़गा तेर में।कौन खड़ी शमशान घाट पर, आधी रात अंधेरे मे।

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