तर्ज, चांदी जैसा रंग है तेरा
श्याम तुम्हारे जैसा जग में ना कोई दिलदार। किस्मत मेरी संवर गई है पाकर तेरा दरबार।
बुरे दिनों में हर रिश्ते ने बस हमको दुत्कारा। तू ही बना तब मेरा बाबा इस हारे का सहारा। मरते दम तक मैं ना भूलूं श्याम एहसान तुम्हारा।श्याम तुम्ही ने दया दिखा के,किया मुझे स्वीकार।किस्मत मेरी संवर गई है पाकर तेरा दरबार।किस्मत मेरी संवर गई है पाकर तेरा दरबार।
श्याम तुम्हारे जैसा जग में ना कोई दिलदार। किस्मत मेरी संवर गई है पाकर तेरा दरबार।
कुछ भी नहीं था मैं तो बाबा तेरी कृपा से पहले। मजबूरी में हाथ हमारे सबके आगे फैले। इस दुनिया के मैंने बाबा बड़े ही ताने झेले।तुमसे कुछ भी छिपा नहीं है हाल मेरा सरकार। किस्मत मेरी संवर गई है पाकर तेरा दरबार।किस्मत मेरी संवर गई है पाकर तेरा दरबार।
श्याम तुम्हारे जैसा जग में ना कोई दिलदार। किस्मत मेरी संवर गई है पाकर तेरा दरबार।
तूने इतना दिया दयालु छोटी पड़ गई झोली। मेरे इस सुने जीवन में खुशियां तुमने घोली। बंद पड़ी किस्मत की रेखा माधव तुम्हीं ने खोली। खुशी से आंखे भर भर आए इतना लुटाया प्यार। किस्मत मेरी संवर गई है पाकर तेरा दरबार।किस्मत मेरी संवर गई है पाकर तेरा दरबार।
श्याम तुम्हारे जैसा जग में ना कोई दिलदार। किस्मत मेरी संवर गई है पाकर तेरा दरबार।