सत री संगत गंगा गोमती ,
सुरसत कासी परीयागा ।
लाखो पापीडा ईणमु उबरीया ,
डर जमडा रा भागा।
ध्रुव जी और पहलाद न ,
सत्संग नारद जी से कीनी।
विष्णु पुरी बैकुंठ मु ,
सुरपत आदर वान दीदी।
सत री संगत गंगा गोमती ,
सुरसत कासी परीयागा ।
लाखो पापीडा ईणमु उबरीया ,
डर जमडा रा भागा।
रतना करमा सबरी भीलणी ,
धन्ना पीपा नामा सना।
सत्संग रा प्रताप से ,
पाइ सुखडे री धामा।
सत री संगत गंगा गोमती ,
सुरसत कासी परीयागा ।
लाखो पापीडा ईणमु उबरीया ,
डर जमडा रा भागा।
सज खानरो एक बाजता ,
नरपत कन्या मन चाही।
सत्संग रा प्रताप से ,
रूपा भेट चडाई।
सत री संगत गंगा गोमती ,
सुरसत कासी परीयागा ।
लाखो पापीडा ईणमु उबरीया ,
डर जमडा रा भागा।
जीण रे भुमी सु रघुवर नीकलीया ,
वा रज चरणा री लागी।
चरण पका रत अहिल्या उबरी ,
दिल री दुर मत भागी।
सत री संगत गंगा गोमती ,
सुरसत कासी परीयागा ।
लाखो पापीडा ईणमु उबरीया ,
डर जमडा रा भागा।
धुल धर गज सीस पे ,
ईश्वर मन भाई ।
जीण रज सु अहिल्या उबरी ,
वो रज खोज गजराई।
सत री संगत गंगा गोमती ,
सुरसत कासी परीयागा ।
लाखो पापीडा ईणमु उबरीया ,
डर जमडा रा भागा।