ये काश की मैं भी फूल होती, तेरी पावन पिंडी पर चढ़ती। जगमग जगमग मंदिर करती, तेरे सामने दीपक बन जलती। मेरा ख्वाब है मां तुम सच करना। मैं चाहूं हर पल संग रहना।
वो पत्थर खुद पर गर्व करें जिस पत्थर से यह मंदिर बना। है भाग्यवान वह बड़े वो रज कर जिनमें मां का वात्सल्य सदा। तेरे चरणों की दासी मैं बनू इतना तो कर्म मुझ पर करना।ये काश की मैं भी फूल होती, तेरी पावन पिंडी पर चढ़ती।
हर बूंद वह बनती गंगाजल जो पांव पखारे मेरी माता का। जो गीत बजे तेरे मंदिर में वह गीत में गाऊं भक्ति का।मेरे सर पे हमेशा हाथ तेरा मेरी भक्ति का इतना भरम रखना। ये काश की मैं भी फूल होती, तेरी पावन पिंडी पर चढ़ती।
ये काश की मैं भी फूल होती, तेरी पावन पिंडी पर चढ़ती। जगमग जगमग मंदिर करती, तेरे सामने दीपक बन जलती। मेरा ख्वाब है मां तुम सच करना। मैं चाहूं हर पल संग रहना।