जिंदगी की राह में लोग हम से खेले हैं । यह भीड़ है क़यामत की और हम अकेले हैं।
आईने के सौ टुकड़ें कर के हम ने देखे हैं।
एक में भी तनहा थे, सौ में भी अकेले हैं।जिंदगी की राह में लोग हम से खेले हैं ।यह भीड़ है क़यामत की और हम अकेले हैं।
जो बना एक साथी, वो भी हम से छूटा है
बेवफा नहीं जब वो, फिर क्यो हम से रूठा है।खोयी खोयी आखों में आसुओं के मेले हैं ।जिंदगी की राह में लोग हम से खेले हैं ।यह भीड़ है क़यामत की और हम अकेले हैं।
उस का हाल क्या होगा, यही गम सताता है
नींद भी नहीं आती, दर्द बढ़ता जाता है।
ज़िन्दगी की राहों में लोग हम से खेले हैं ।यह भीड़ है क़यामत की और हम अकेले हैं।
हर तरफ उजाला है, दिल में एक अंधेरा है
सामने कब आयेगा, क्यो छुपा सवेरा है,
मेरा दिल जिगर देखो, कितने दर्द झेले है।जिंदगी की राह में लोग हम से खेले हैं ।यह भीड़ है क़यामत की और हम अकेले हैं।