तर्ज, उमराव थारी बोली
उमराव थारो पिचरंग पेचों भीजे म्हारा राज। उमराव जी ओ म्हारा राज।उमराव जी ओ म्हारा राज।
आभा चमके बिजली सिर पर बरसे मेघ।छांटा लागया प्रेम का भीजे सारी देह।उमराव थारो पिचरंग पेचों भीजे म्हारा राज। उमराव जी ओ म्हारा राज।उमराव जी ओ म्हारा राज।
साजन चालया चाकरी घर राखी बंदूक।के तो साग ले चलो के करद्यो दो टूक।उमराव म्हाने साग लेकर चलो म्हारा राज।उमराव जी ओ म्हारा राज।उमराव जी ओ म्हारा राज।
फूल गुलाबी पोमचो जामे पिचरंगो मोर। महे म्हारी मां की लाडली कद मुकलाओ होय। उमराव थे तो लेवन बेगा आओ म्हारा राज।उमराव जी ओ म्हारा राज।उमराव जी ओ म्हारा राज।
उमराव थारो पिचरंग पेचों भीजे म्हारा राज। उमराव जी ओ म्हारा राज।उमराव जी ओ म्हारा राज।