माँगू एक वरदान ऐसा पति मिले भगवान। शक़्ल से हो वो रूपवान अक़्ल से जोरू का गुलाम।
शील गुणी हो गुणवान दिल हो हीरों की खान। शक्ल से हो वो रूपवान अक़्ल से जोरू का गुलाम।
उड़े उसकी ज़ुल्फ़े तो आयें घटाएं मुस्कुराये वो तो सारे फूल खिल जाएं।
अपने माँ बाप का हो वो अकेला नाहीं देवर जेठ नाहीं ननद का झमेला।
जेब से होवे बलवान करे घर के सारे वो काम। शक़्ल से हो वो रूपवान अक़्ल से जोरू का गुलाम।
मेरे रंग रूप की करे तारीफ वो मेरे सारे हुक्मों की करे तामील वो।
मेरी बस करता रहे बखान सास ससुर का करे न मान।शक़्ल से हो वो रूपवान अक़्ल से जोरू का गुलाम।