तर्ज,उभो थारी हाजरी बजाऊं
श्याम खाटू वाले ने इब आणो पडसी।विपदा सु दास ने बचानो पडसी।
दानी हो वरदानी हो थे कलयुग में खाटू वासी। पायो है जो रूप दिखानो पडसी।विपदा सु दास ने बचानो पडसी।श्याम खाटू वाले ने इब आणो पडसी।विपदा सु दास ने बचानो पडसी।
शीश दियो वरदान लियो थे अमर कियो लीलाधारी। सुनी है कहानी या निभानी पड़सी।विपदा सु दास ने बचानो पडसी।श्याम खाटू वाले ने इब आणो पडसी।विपदा सु दास ने बचानो पडसी।
गणपत दाता हनुमत दाता साथ रहे शिव कैलाशी। भूल्यो हूं में राह दिखानी पडसी।विपदा सु दास ने बचानो पडसी।श्याम खाटू वाले ने इब आणो पडसी।विपदा सु दास ने बचानो पडसी।
रोता आवे हंसता जावे कोटि-कोटि जन अभिलाषी। दुनिया के ताना से बचानो पडसी।विपदा सु दास ने बचानो पडसी।श्याम खाटू वाले ने इब आणो पडसी।विपदा सु दास ने बचानो पडसी।
कहे गुरु सांवल श्याम रटे से सुख पावे है नर नारी। शरण पड़े की निभानी पड़सी।विपदा सु दास ने बचानो पडसी।श्याम खाटू वाले ने इब आणो पडसी।विपदा सु दास ने बचानो पडसी।